Aadmi
🌹🌹🌹 सुप्रभात🌹🌹🌹
आदमी इस पृथ्वी पर अकेला पाखंडी है। बाकी सब सहज सरल हैं। जैसा है वैसा ही है। ज्यूँ का त्यूँ ठहराया। सब वैसे ही का वैसा ठहरा है। पीपल पीपल है, नीम नीम है, आम आम है। सब वैसा—का—वैसा ठहरा है, सिर्फ आदमी डाँवाँडोल है। आदमी कुछ—का—कुछ हो जाता है। कुछ भीतर, बाहर कुछ। कुछ कहता, कुछ करता। कुछ हिसाब ही नहीं है। न—मालूम कितनी पर्तें—दर—पर्तें हैं। न—मालूम कितना पाखंड है। धीरे—धीरे याद ही नहीं रह जाती कि मैं कौन हूँ—इतने नकाब लगा देता है, इतने मुखौटे ओढ़ लेता है, पहचान ही भूल जाती है कि मेरा असली चेहरा क्या है?
और यह होगा ही, जब तक तुम जीवन के इस परम नियम को न समझ लोगे ।
🌹 प्रेम को प्राथना बनाओ 🌹 www.hamaresant.com
Submitted May 03, 2019 at 05:00AM
🌹🌹🌹 सुप्रभात🌹🌹🌹आदमी इस पृथ्वी पर अकेला पाखंडी है। बाकी सब सहज सरल हैं। जैसा है वैसा ही है। ज्यूँ का त्यूँ ठहराया। सब वैसे ही का वैसा ठहरा है। पीपल पीपल है, नीम नीम है, आम आम है। सब वैसा—का—वैसा ठहरा है, सिर्फ आदमी डाँवाँडोल है। आदमी कुछ—का—कुछ हो जाता है। कुछ भीतर, बाहर कुछ। कुछ कहता, कुछ करता। कुछ हिसाब ही नहीं है। न—मालूम कितनी पर्तें—दर—पर्तें हैं। न—मालूम कितना पाखंड है। धीरे—धीरे याद ही नहीं रह जाती कि मैं कौन हूँ—इतने नकाब लगा देता है, इतने मुखौटे ओढ़ लेता है, पहचान ही भूल जाती है कि मेरा असली चेहरा क्या है?और यह होगा ही, जब तक तुम जीवन के इस परम नियम को न समझ लोगे ।🌹 प्रेम को प्राथना बनाओ 🌹 www.hamaresant.com
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